शनिवार, 27 जून 2015

बरखा देवी

      बरखा देवी

झुमरत आगे बरखा देवी, 
बतावत हे जागव गा किसान! 
माटी दाई के सेवा बजावव, 
लावव गा नवा बिहान!!

छो छो बईला ला हांक पारत, 
खांद मा बोहे नांगर! 
तुतारी घलो ला धरलव, 
संग मा रोटी अंगाकर!!

मुड़ मा पागा घलो बांधे, 
चलव जाबो रे नगरिहा! 
बने भिनसरहा ले जाबो, 
जल्दी पूरोबो हरिया!!

लहर लहर लहलाही गा, 
तबतो धनहा डोली! 
मन नाचे बर धरथे सुनके, 
हर्रो हट छव के बोली! 

माफी करहू भईया हो फेर मोला पूरखा के एकठोक बात सुरता आगे गा मेहा काखरो हिनमान नि करत हव फेर पूरखा मन काहय..

उत्तम खेती मध्यम बईपार, 
नीच नवकरी भीख बेकार! 
सुनके गुनव नगरिया हो, 
धरती दाई के करव जयकार! 

    ✏श्रवण साहू 
   गांव-बरगा बेमेतरा (छ.ग.)

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