बुधवार, 1 जुलाई 2015

दुखिया बेटी के गोहार

     दुखिया बेटी के गोहार

मोरो मन होथे महूँ बने पढ़ लेतेंव,
इस्कुल के डेरौठी मा महुँ बने चढ़ लेतेंव!

बिहनिया बेग लटकाय,
जाथे सब संगवारी!
सब साक्षर होवत तेनमा,
एक झन मै अनारी!
सब झन इस्कुल जाके,
किताब ल पढ़त हे!
पढ़ लिख के हूसियार होके,
जिनगी ल गढ़त हे!
मोरो जिनगी ला महूँ बने गढ़ लेतेंव....
मोरो मन होथे महूँ बने पढ़ लेतेंव!!

काबर बनाये मोला विधाता,
तैं टूरी के जात!
सब रऊंदत हे हमर मान ला,
मारथे कोनो लात!
कतको बूता हम करबो तभो,
नई मिलय गुरतूर बात!
भविष्य के रस्ता सोच के,
मोरो मन करलात!
अबतो अपन हक बर महूँ बने लड़ लेतेंव...
मोरो मन होथे महूँ बने पढ़ लेतेंव!!

शुरू ले आखिर मोर जिनगी मा,
बगरे हावे काँटा!
दुनिया के जम्मो दुख हा,
होगे हमरे बाँटा!
पढ़ लिख हूसियार होके,
बने चलातेंव जिनगी!
महू ला पढ़हा दे गा ददा,
करत हावव विनती!
बिकास के रस्ता महूँ बने चढ़ लेतेंव..
मोरो मन होथे महूँ बने पढ़ लेतेंव!!

मोरो मन होथे महूँ बने पढ़ लेतेंव,
इस्कुल के डेरौठी मा महुँ बने चढ़ लेतेंव!!

  ✏श्रवण साहू
गांव-बरगा बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा. +918085104647

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