बुधवार, 1 जुलाई 2015

सब नन्दावत हे

नन्दावत संस्कृति के बात

दूरिहागे गा नंदागे ना,
हमर संस्कृति हा बाढ़े पूरा मा बोहागे ना!

ठेठरी,  खुरमी, अईरसा नंदागे
नंदागे अंगाकर रोटी,
पताल के चटनी नंदागे
जेमा डारय धनिया अउ चिरपोटी!

खेड़हा, पटवा, भथवा नंदागे
नंदागे तिनपनिया भाजी,
वोकर जघा मा खात हे
मैगी कस आनी बानी खाजी,

कोदो के भात नंदागे
नंदागे कनकी के चीला,
नांव ला बदल के काहत हे
इडली दोसा माई पीला,

बिहनिया के मईहा बासी अउ
नंदागे अदवरी बरी,
नई खाये के ला घलो खावत हे
तभे ये तन होगे लबरी,

कब खाबो अब लो मालपुआ ला,
मन हा करलागे गा..
दूरिहागे गा नंदागे ना,
हमर संस्कृति हा बाढ़े पूरा मा बोहागे ना!

नंदागे छत्तीसगढ़िया के
धोती अऊ कुरता,
वोकर जघा पहिनत हे
टाप अऊ बूरखा,

देखे बर नई मिलय
पिसौरी पाठ के लुगरा,
नई पहिने के ला पहिनत हे
तभे तो माते हे झगरा,

अईसन बात ला देख के सबके
मति छरियागे ना...
दूरिहागे गा नंदागे ना
हमर संस्कृति हा बाढ़े पूरा मा बोहागे ना!

हाय हलो मा जग भुलागे
भुलागे राम राम जय जोहार,
मन कलपत हे श्रवण के
पारत हे गोहार,

बचाबो अपन संस्कृति ला
देके अपन परान,
धीरे धीरे परयास करबो ता
नई होवय छत्तीसगढ़ हा दूसवार,

अईसे बात गुनत गुनत मन हरियागे ना..
दूरिहागे गा नंदागे ना
हमर संस्कृति हा बाढ़े पूरा मा बोहागे ना!!

✏श्रवण कुमार साहू
गांव-बरगा जि.- बेमेतरा(छ.ग.)
मोबा +918085104647

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