बुधवार, 1 जुलाई 2015

मोर दाई के कोरा

!! मोर दाई के कोरा!!

मन मोर नाचेला धरथे,
सुन के वोकर आहट!
अमरित पाये असन लागथे,
सुन के वोकर गुनगुनाहट!

भात रांधत रांधत कोन जनी,
का गीत गुनगुनाथे!
मया मा सनाय भोजन हा,
अऊ अब्बड़ सुहाथे!

कभु का हो जथे वोला,
करे लगथे ठिठोरी!
कभु मया के बरसा करथे,
सुनाके हमला लोरी!

गुस्सा जथे मोर ले ता,
बाहरी क मुठिया मा जमाथे
रो के डरवा देथव तब,
अपनेच हा चुप कराथे

जीयत हावव मेहा संगी,
अपन दाई के निहोरा!
अब्बड़ सुघ्घर लागथे मोला,
मोर दाई के कोरा!!

अब मया मा सनाय हायकु-

ऐ दाई सुन,
मया राखे रहिबे,
बात ला गुन,


    ✏श्रवण साहू
   गांव-बरगा बेमेतरा(छ.ग.)
मोबा. +918085104647

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें