बुधवार, 1 जुलाई 2015

मोर गाँव

मोर गाँव-सब देवता के ठाँव

गांव के मुहाटी मा बईठे हे
सुघ्घर ठाकुर देव,
थोर कुन रकसहू गेस ताहन
महामाया के दर्शन पा गेव!

दू कदम अउ बढ़ जा ता
बईठे हे शंकर भोला,
चनादार बेलपतिया धरले
तभेच मनाबे वोला!

एकेच्च कन भीतरी घुसर जा
राम लखन दोनो भाई हे,
केंवट के डोंगा मा बईठे
संग मा सीता माई हे!

बीच गली मा बईठे हे
पवनसुत महावीरा,
सबके बिगड़ी बनावत हे
हरथे सबके पीरा!

भण्डार बाजू जाबे ता घलो
हावय गा हनुमान,
लक्ष्मण प्रान दाता के
करव मेहा गुणगान!

गांव के दईहान के सुघ्घर
करत हावय रखवारी ,
गोवर्धन पर्वत ला उठाय
खड़े हे मोर गिरधारी!

बुड़ती बाजु बईठे हे गा
पूरा जग के देखन हार,
लक्ष्मी माँ सेवा बजावत हे
शेष मा बईठे हे पालनहार!

हमर गांव के बीच खार मा
सौहत हे बंजारी माई,
सबके मनोकामना पूर्ण करथे
रहिथे सब बर सहाई!

सब देवता मोर गांव मा हे
सबो ला माथ नवावंव,
नानकुन बुद्धि मोर हे
कतेक गुन ला गावंवव!

काबर जाबे तीरथ बरथ
ईंहे बईठे देवता छप्पन कोटी,
चारो धाम मा पईसा झन फेंक
भुखन ला खवादे रोटी!!
भुखन ला खावादे रोटी!!

       ✏श्रवण साहू
    गांव-बरगा बेमेतरा(छ.ग.)
   मोबा. +918085104647

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