बुधवार, 19 अगस्त 2015

।।जमाना।। - मुक्तक

         ।। जमाना।।
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सुन मुसाफिर अब जाग
          संतन के संग मा लाग।
भागम भाग मात गे जी
         जमाना मा लागे आग।

जब कोलिहा छेड़य राग
         ता कोयली गय भाग।
हंस खाय गोंटी माटी
         मोती खावत हे काग।

लुटेरा गेहे अब जाग,
            मितान होगे हे नाग।
ये कईसे दिन रे बाबा,
            चंदा मा लगे हे दाग।

स्वार्थ कैची,प्रेम ताग,
           परे धार, टुटगे धाग।
अतका भुखागे मनखे,
        जीव-जन्तु बनगे साग।

सुन मुसाफिर अब जाग,
          संतन के संग मा लाग।
भागम भाग मात गे जी,
          जमाना मा लागे आग।
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रचना @ श्रवण साहू
गांव-बरगा जि.बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा.- 08085104647
 

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