बुधवार, 12 अगस्त 2015

कहानी (देखा देखि मा गलती)

धियान लगाये सुनहू संगवारी काहत हव आज कहानी,
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एक घंव के बात ये गा, एकठन हवई जहाज मा एक झन सेठ अऊ ओकर पोंसे मिट्ठू, दूनो झिन बढ़िया सफर करत रहीथे, हवई जिहाद बने उड़त  हे।  बीच मा होथे का? एक झन एयर  होस्टेस नोनी नाहकत रहिथे आगु ले,, ओला देख डरिस मिट्ठू हा,  अऊ ओहा मार दिस  सीटी, वोला  सुनिस हवई सहायिक नोनी हा अउ ओहू हा हलू कन धीरे से मुस्का दिस, बात कट गे जी,!
                     थोरकुन बाद मा फेर वो हवई सहायिका हा वापस लहूटत रहय,अब तो ए पईत सेठ जी सीटी मार दिस, नोनी राहय तेन भड़क गे,  वो हा आगे जाके सिकायत लिखवईस,  अब पोंगा मा ऐलांउस होईस के वो दूनो झन सीटी बजईया मन ला हवई जहाज ले फेंके जाय, दुनो झन ऊपर भारी बड़ अलहन आगे गा।  एक दूसर के मुहू ला बोट बोट देखे,  मिट्ठू सेठ ला कहिथे -  कस गा तोला उड़ाय बर आथे?  भईगे सेठ बिचारा के हवा पानी बंद,  फेंका गे गा हवई जहाज ले।।
सीख:- हर बेर के देखा सिखी बने नि होय,  बिन अकल के नकल करईया खपला जथे।
                     
          - श्रवण साहू
      गांव-बरगा थानखम्हरिया

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