रविवार, 2 अगस्त 2015

चौपाई- वर्षा वियोग पर

।। अथ बरषा प्रतिवेदनम् ।।

भये श्रावण कर्तव्यविमूखा।
       कारण कवन पड़यहि सूखा।।१।।
बिकल इत उत जीव बिचारा।
      लागहि कैसो नांव किनारा।।२।।
चैन न आवहि मोहे दिनराता।
    बैरहि मेघ,नीर नहि बरसाता।।३।।
सूखहि तरु,नदि नहि नीरा।
     देखहू नाथ बाढ़हि मम पीरा।।४।।
उपजहू मनहि विविध कलेशा।
         सुनहू बिपतहारी गणेशा।।५।।
रोवहि नाथ इंहा नर नारी।
       संकट बिकट परो गिरधारी।।६।।
होई केवल संकट दिन चारी।
      देखहू जगपति दशा हमारी।।७।।
कछुक दिन रहहि यह बाता।
     मिटहि सृष्टि सुनहू जगधाता।।८।।
बिनति अब सुनहू प्रभु मोरा।
     चरण सरोज पखारहू तोरा।।९।।
             ।। दोहा ।।
तात अरज बिकल हो करिहउ
                 सुमर सुमर गुन गांवहु।
करहू 'श्रवण' बिनती पूरंदर,
                 घुमर घुमर बरषावहू।।१।।

रचना-श्रवण साहू
गांव-बरगा थानखम्हरिया
मोबा. +918085104647

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