मन बेशक़ निर्मल इरादें कितने सच्चे थे। रो कर मात्र सब कुछ पा लेना अच्छे थे। उम्र की मार तो रूला ही दिया 'श्रवण' हरपल मुस्कुराते थे जब तुम बच्चे थे। - श्रवण साहू
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 01 अक्टूबर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! .
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