रविवार, 9 अगस्त 2015

ये वो महंगई बहिनी

ये वो मंहगई दीदी
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ये दीदी!सुन ले वो मोर बात!
गोहारत हन हम,दे हमर साथ!
झन कर हमला तना नना, 
हम मजदूर गरीब के जात।

तोर भतिजा मुड़पेलवा भ्रष्टाचार!
बैरी बनगे,करथे अत्याचार!
संझा बिहनिया मारथे डंडा,
नाच नचाथे नागिन पार।

दूखिया ला अउ झन दुखा!
परत हे उपर ले अऊ सूखा!
दूबर बर दू अषाढ़ होगे,
हम मर जबो अईसने भूखा।

बेरोजगारी मा होगेन रीता,
पेट घुसरगे अब एक बीता,
मात गेहे दीदी करलई वो,
पसिया पिथन नईहे सीथा।
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      ✏श्रवण साहू
गांव-बरगा,थानखम्हरिया

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