बुधवार, 2 सितंबर 2015

कुसंगत के फल कहानी - श्रवण साहू

।।छत्तीसगढ़ी कहानी - कुसंगत के फल।।
                              लेखक- श्रवण साहू

छत्तीसगढ़ के  पावन धरती मा भरतपूर नांव के एकठन गांव राहय। भरतपूर गांव मा रामस्वरूप नांव के ब्राम्हण रहय।रामस्वरूप के पत्नी यमुना बाई अऊ दू झन बेटा रहीस बड़े बेटा के नांव देवेन्द्र जेन 11 बछर के होगे हे अऊ दिखे मा बड़ सुघ्घर गोरा नारा हे अऊ ओकर ले सुघ्घर रामस्वरूप के छोटे बेटा सुरेन्द्र जेन अभी 9 बछर के होगे हे। रामस्वरूप के जईसन नांव हे वईसने ओकर गुन घलो रहय, रामस्वरूप बड़ संतोषी ब्राह्मण रहे,  गांव मा यजमानी, कथा हवन पूजन प्रवचन आदि करय अउ अपन परिवार के पालन पोषण करय अऊ लईका मन ला पढ़हावय।  रामस्वरूप अऊ यमुना के सपना रहय कि बड़े बेटा देवेन्द्र गांव मा यजमानी करय, प्रवचन करय, वेदपाठी होवय अऊ दूनो के दुलरवा बेटा सुरेन्द्र हा डाॅकटर बनय। समय के जावत देरी नई  हे संगवारी रामस्वरूप के वृध्दावस्था आगे,देवेन्द्र अऊ सुरेन्द्र अब जवान होगे, देवेन्द्र कुमार 12वीं तक पढ़िस अऊ अब पूजा पाठ करे मा निपूण होगे पिताजी के आशिष ले मंत्रोच्चारण के गुन घलो पागे अऊ सुघ्घर गांव के यजमानी करे लागीस अऊ अपन संगवारी बनालिस वोहा परमात्मा ला, धर्म शास्त्र ला, वेद पाठ ला,सत्संग ला।छोटे बेटा सुरेन्द्र घलो अपन दाई ददा के सपना पूरा करे खातिर, लक्ष मा धियान लगाय,उंचा पढ़ई बर डाॅक्टरी कालेज रायपूर चल दिस। देवेन्द्र तो अब हरि संग प्रेम लगा के अपन गियान ला गांव-गांव मा बांटे बर धरलिस, हव संगवारी  देवेन्द्र अपन लगन ले आज भगवती पण्डित बनगे, जतका मुद्रा दक्षिणा मा पावय ओकर पौना भाग ला अपन पास गृहस्थ चलाय बर रखय अऊ बाकि सबो पईसा ला अपन छोटे भाई के पढ़ाई बर रायपूर भेज देवय। ऐती सुरेन्द्र बिन मेहनत के पईसा पा-पा के बिगड़त जात हे।  कहे घलो के हे संगवारी बिन मेहनत के पाये हिरा बर घलो पिरिया कम रहिथे। मानव कंहू सत्संग नई करही ता कुसंगति मा जरूर परही।वईसने हाल आज सुरेन्द्र के होगे हे संगवारी,शहर के बिगड़े नवाब संग मितानी होगे हे रोज के गुंडा बदमासी करई, संगवारी मन संग होटल मा खवई होगे रहय, अब तो सुरेन्द्र "बढ़ स्वतंत्र सिर पर नहिं कोई" होगे।  सुरेन्द्र कुसंगत मा पढ़ के अपन कुल, मर्यादा, नियम ला भुलागे अपन लक्ष ला भुलागे।
बड़े भैया के मेहनत के पईसा ला कुसंगत मा परके मदिरा पान अवारापन मा उड़ाय लगिस अउ अपन भविष्य के रस्ता ला भुलागे।अईसन ऐसो आराम हा अल्पकालिक रथे,आखिर वो समे आगे जेन सुरेन्द्र के कुकर्म के फल देने वाला हे।सुरेन्द्र के परीक्षा परिणाम आगे, रात दिन कुसंगत मा परे रहने वाला सुरेन्द्र आज सबो बिषय मा फैल होगे हे, सुरेन्द्र अपन जिनगी ला बेकार तो करिडर राहय अब सुरेन्द्र सोच मा परगे कि मै दुराचारी हव अपन भैया के मेहनत के लाखो पईसा ला भोग विलासिता मा लगावत गेंव,झुठ बोल बोल के पईसा मांगत गेंव अऊ अपन परिजन ला धोखा देवत गेंव, सुरेन्द्र के मन मा अपन आप बर ग्लानि के भाव उठे लागिस अऊ वोहा सोचिंस अईसन पापीं जीव ला जिये के कोनो हक नईहे कहिके आत्मा हत्या करेबर सोचत रहिथे।उही बेरा देवेन्द्र हा सुरेंद्र ला देखे गजब दिन होय हे कहिके अपन छोटे भाई ला देखे बर पहूंचजथे।सुरेन्द्र किराया के कुरिया मा रहय। उंहा पहूंचते ही देवेन्द्र का देखथे?  सुरेन्द्र अपन घेंच मा फांसी अरोवत रहय, अईसन स्थिति ला देख देवेंद्र तुरते सुरेन्द्र के हाथ ले रस्सी ला झटक के कारण पुछथे।सुरेन्द्र हा पश्चाताप के आगी मा जरत, रोवत रोवत पूरा किस्सा ला देवेन्द्र ला बताथे।देवेन्द्र तो आत्मज्ञानी अऊ भगवती पंडित रहय संगवारी। सुरेन्द्र के मन मा अईसे ज्ञान डारथे अऊ समझाथे जेकर ले सुरेन्द्र घलो चेत जथे। अब तो देवेंद्र हा हर पूजा-पाठ मा सुरेन्द्र ला संग मा लेगय अऊ वहू हा सिखे खातिर अपन भैया संग हांसी खुशी जाय। अऊ आनन्दमय अपन जीवन ला बिताय लागिस।
             ।। जय जोहार जय छत्तीसगढ़ ।।

   ✏श्रवण साहू
गांव-बरगा जि.-बेमेतरा
मोबा.-8085104647

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