कलयुग की कायदा
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"कलयुग शहर के
स्वार्थ नगर में"
"अन्याय गली के
चौंथी तली में"
"रहना सम्हल के
अगम दलदल में"
"उड़ते जब परिन्दे
तकते कई दरिन्दें"
" उजाड़ते आशियाना
लूट भी लेते खाना"
"चुप रहना भी सिख
किसी को ना दिख"
"ये कलयुग की नीति
साथ रखना यह रीति।"
रचना-श्रवण साहू
गांव-बरगा जि-बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा. +918085104647
बुधवार, 23 सितंबर 2015
कलयुग की कायदा
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सच फूँक फूँक कर चलना होता है कलियुग में। ।
"चुप रहना भी सिख
किसी को ना दिख"
"ये कलयुग की नीति
साथ रखना यह रीति।"
...सटीक सामयिक चिंतन ..