गज़ल
सितारों के बीच मैं जुगनू सा जगमगाता हूं,
ख़ता क्या सुर मिले तो यूं ही गुनगुनाता हूं।
छाले पड़े पैरों में दुनिया के भागम भागों में,
ख़ता क्या आगे नही पीछे ही चला आता हूं।
रंजोगम दुनिया में कितने ही बेवफा देखें,
खता क्या नजरों सें चुपके ही नीर बहाता हूं।
सैंकड़ों के बीच भी तन्हा सा ही रोता 'श्रवण',
खता क्या सनम की याद में ही चैंन पाता हूं।
- श्रवण साहू
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